लाइब्रेरी में जोड़ें

सर्वोत्तम दुलहन सदा




अमृत ध्वनि छंद (दुलहन)
मात्रा भार 24

सर्वोत्तम दुलहन सदा, देती पति को प्यार।
जैसे माता पुत्र की, दिखती है रखवार।।

 दुल्हन उत्तम, अतिशय अनुपम, देखत प्रियतम।
कहीं न जाती, स्नेह दिखाती, सर्व उच्चतम।
रूप निराला, जिमि मधु प्याला, कोमल वाणी।
परम मनोहर, सुखद सरोवर, अति प्रिय प्राणी।

दुलहन जैसा सज दिखे, दीपोत्सव त्योहार।
प्रेम परस्पर मिलन का, यह उत्कर्ष विचार।।

प्रीति अनोखी, निर्मल रसमय, पावन शुभमय।
दीपोत्सव है, शुभ उत्सव है, अति प्रिय शिवमय।
जिसको भाता, पति का नाता, मधु मनहारी।
दुलहन प्यारी, बहुत दुलारी, नित सुखकारी।

वह दुलहन अति प्रियतमा, जो पति को परमेश।
सहज मानती नित्य है, बनकर उमामहेश।।

रमती रहती, चलती रहती, बातें करती।
सदा चहकती, दिल से मिलती, मधुर महकती।
कोमल बदना, मोहक वचना, प्रिय शिवकारी।
दिल सहयोगी, सदा निरोगी, सुंदर नारी। 

रचनाकार: डॉक्टर रामबली मिश्र
९८३८४५३८०१

   14
5 Comments

Haaya meer

02-Nov-2022 05:42 PM

Amazing

Reply

Muskan khan

02-Nov-2022 05:01 PM

Well done ✅

Reply

Sachin dev

02-Nov-2022 04:32 PM

Nice 👌

Reply